पेट्रोल पंप में काम करने वाले ने बेटे की पढ़ाई के लिए घर बेच दिया था, अब बेटा बना IAS
4 अगस्त, 2020.UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) 2019 की सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे आए. 829 कैंडिडेट सफल हुए. अब इनमें से कई
कैंडिडेट्स के संघर्ष की कहानियां सामने आने लगी हैं. ऐसी ही एक कहानी प्रदीप सिंह
की भी है. प्रदीप ने इस परीक्षा में 26वीं रैंक हासिल की है.
पिता पेट्रोल पंप में काम करते थे
वैसे तो
प्रदीप का जन्म बिहार में हुआ था, लेकिन बाद
में परिवार इंदौर शिफ्ट हो गया. इंदौर में उनके पिता एक पेट्रोल पंप में काम करने
लगे. प्रदीप हमेशा से IAS अधिकारी
बनना चाहते थे, यानी
इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज में जाना चाहते थे. ये बात उनके पिता भी अच्छी
तरह से जानते थे. इसलिए अच्छी पढ़ाई और कोचिंग के लिए प्रदीप जून 2017 में दिल्ली आ गए. यहां एक कोचिंग
इंस्टीट्यूट जॉइन किया, जिसकी एक
साल की फीस डेढ़ लाख रुपए थी. ऊपर से प्रदीप के रहने-खाने के पैसे अलग लगते थे.
ऐसे में पिता ने इंदौर का अपना मकान बेच दिया, बिहार के गोपालगंज की पुश्तैनी ज़मीन
भी बेच दी, ताकि उनके
बेटे के सपने में कोई रुकावट न आए.
प्रदीप ने 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में भी 93वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन तब उन्हें IAS की बजाए IRS (भारतीय राजस्व सेवा) मिला था. प्रदीप
को IAS अधिकारी
ही बनना था, इसलिए
उन्होंने 2019 में
फिर से सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी. इस बार 26वीं रैंक आई, जिससे अब IAS बनने का रास्ता साफ हो गया है.
‘इंडिया टुडे’ के रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट के
मुताबिक, प्रदीप
को बैडमिंटन खेलने का और फिल्म देखने का बहुत शौक है. लेकिन IAS बनने के लिए उन्होंने इन सबको किनारे
कर दिया था. सब छोड़कर 16-16 घंटे
तक केवल पढ़ाई करते थे. कई-कई दिनों तक दोस्तों से भी मुलाकात नहीं की थी.
प्रदीप का कहना है कि उनके माता-पिता
और परिवार का जज़्बा उनके जज़्बे से कहीं ज्यादा ऊपर था. उनके घर पर आर्थिक दिक्कत
होने के बाद भी पिता ने पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी.
प्रदीप के पिता ने भी ANI को बताया कि वो अपने बेटे की कामयाबी से खुश हैं. UPSC की 2019 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में पहला रैंक भी एक प्रदीप सिंह नाम के कैंडिडेट का ही है. उन्होंने भी 2018 में 260वीं रैंक हासिल की थी और IRS जॉइन की थी. 2019 में एक बार फिर से एग्जाम दिया और देश में पहला स्थान हासिल किया.
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